ग़ज़ल
हमसे पूछा न गया उनसे बताया न गया
प्यार मन में ही रहा, होठों पे लाया न गया
लट एक झटके से पलकों पे गिराली लेकिन
आँख का मोती मगर हमसे छिपाया न गया
चाँदनी रात में हमने जो लिखे ख़त उनको
उन लिफाफों कोकभी उनको दिखाया न गया
आशियाँ दिल में सजाया था जिनकी यादों का
टूट कर बिखरा तो फिर हमसे बनाया न गया
बितादी हमने तमाम उम्र जिसकी यादों में
आज तक राज मगर हमसे बताया न गया
— लता यादव
वाह अतीव सुंदर गीतिका
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !