गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

जिंदगी कभी रेत पर बनते बिगड़ते घरौंदों का संसार है जिंदगी। कभी समुंदर की लहरों पर खेलती पतवार है जिंदगी कभी नव रूप ,नव रंग, नवल विचार है जिंदगी कभी नव यौवनकाल का प्यार मनुहार है जिंदगी कभी गुनगुनी धूप है तो कभी छांव है जिंदगी ! कभी अमराई में भूला बिसरा गाँव है जिंदगी! […]

कविता

कवि

सुन्दर सुन्दर बातें कर, जग में भरता सुन्दरता। सुन्दरता से रचे छंद जो मन में घर है करता। भाव पिरोता मधुर गीत में मंद मंद मुस्काता। गोल घुमाता आँखें अपनी गूढ़ बात कह जाता। जब तक समझ सके कोई वह आगे को बढ़ जाता। श्रोताओं के भाव जगा कर मन झंकृत कर जाता। भूल गए […]

कविता

यादें

यादें कभी रुलाती हैं। कभी गुदगुदाती हैं । कभी मीठी लोरी बन धीरे से सुलाती हैं । माँ की मधुर याद, जबभी आती है । चाँदी से बालों पर, मुरझाये गालों पर, हौले से थपकी दे प्यार से सहलाती है , निःशक्त हाथों से आँचल में भर कर , जीवन की संध्या में जीवन को […]

कविता

उम्मीद तो है

कौन यहाँ आता है , कौन मुँह छिपाता है । कौन आकर पल दो पल पास बैठ जाता है। सुनता है कुछ मेरी और कुछ सुनाता है। माना कि सपना है कुछ भी ना अपना है फिर भी मन बुलाता है हौले से मन ही मन गीत गुनगुनाता है। सपना सच हो जाये मन से […]

कुण्डली/छंद

मदिरा सवैया

मदिरा सवैया … ७ भगण एक गुरू 211 211 211 211 211 211 211 2 (1) लेप दियो वृषभान सुता ,नवनीत मनोहर गाल सखी रूठ गये नटनागर ली पग -धूरि उछालत ग्वाल सखी खोंस लई मटकी पटकी दधि ,लेप दियो सब बाल सखी लोट गये धरती पर मोहन , ढाँप लियो मुख भाल सखी (2) […]

गीत/नवगीत

गीत : नेता सब गूंगे बहरे हैं …

लहू लुहान है माँ का आँचल ,दाग बड़े ही गहरे हैं किससे अब फरियाद करें? नेता सब गूंगे बहरे हैं … जैड सुरक्षा, एसी -कारें,महल चाहिये जीवन भर. रोज हवाई दौरा करते ,पैर न रक्खें धरती पर. नई नई चालें चलके नित, करते माल तिजोरी में टैक्स लगा कर नये नये, सबका जीना करते दूभर. […]

कविता

कविता : मैंने लिखना छोड़ दिया

मैंने लिखना छोड़ दिया, भला लिखे या बुरा लिखे छुट पुट मुक्तक खूब लिखे, मुख पोथी पर बड़े जतन से भाव नदी में डूब लिखे , फिर भी कोई उन्हें न भाया, नन्हा सा दिल तोड़ दिया मैंने लिखना छोड़ दिया मैंने लिखना छोड़ दिया (1) मुक्तक में संगीत बसा, सुंदर छोटा गीत बसा छोटी […]

कविता

कविता

केसर की क्यारी से आई सोंधी बयार , महक उठा सखी मेरा सूना आगार है! अलसाई ऊषा ने खोल दिये मुंदे नयन, सूरज की किरणों ने किया श्रंगार है! विरहन के होठों पर सजे सखी प्रेम गीत , मन के उपवन में अब छाई बहार है! भीत पर जड़ी छवि मुस्काती मंद मंद, भेज दिया […]

गीत/नवगीत

गीत: मैं भी पंछी बन जाऊं

उन्मुक्त गगन में उड़ते पंछी क्या कहते हैं सुना कभी आओ मिल कर सब एक साथ क्षितिज पार उड़ चलें सभी l1l कम्पित काया को संयत कर घर की देहरी पर धरे पांव दो कदम बढ़े पगडंडी पर छूटा पीछे अब मेरा गांव ।२। अनजान डगर पर निकल पड़ी हूं जिसका कोइ छोर नहीं पग […]

लघुकथा

लघु कथा : रिश्तों का दर्द

मित्रो, आप सब के स्नेह का प्रतिदान तो नहीं कर सकती,… पर कुछ है जो भीतर ही भीतर रिसता रहता है… औरत होने का दर्द.. बरसों से मुझे सालता रहा है पर आज कल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है…. दोस्ती का चोला पहने बहुत लोग हैं जो सिर्फ नोचना खसोटना जानते हैं… पर यह […]