हाइकु
चली मथनी,
हो गई एकत्रित,
मक्खनी यादे
चली मथनी,
विष से नीला कंठ,
अमृत बाँट
चली मथनी,
पिला रही गोपियाँ,
छाछ कान्हा को
चली मथनी,
पहुँचाया कंस को,
मक्खन कर
चिनी दीवार, बं
बांटा भगवान को,
वाह रे बन्दे!
ढही दीवार,
उठ गए विवाद,
घायल कौन?
बढ़िया. लेकिन एक साथ तीन चार हाइकु ज्यादा अच्छे लगते हैं.
हाइकु बहुत अच्छा लगा .
शुक्रिया गुरमेल सिंह भमरा जी