कविता

दोहा

मुस्कान के मोती डालो, रहेंगे हंस करीब।
प्रभु ने सबको दी है यह, कोई नहीं गरीब।।

मुस्कान के मोती डाल,रहेंगे हंस करीब।
कुदरत ने दी नेमते,कोई नहीं गरीब।।

3 thoughts on “दोहा

  • विजय कुमार सिंघल

    दोहा सही नहीं बना था, मैंने थोडा सुधार दिया है, हालाँकि अभी भी कुछ कमी है. वैसे इसके भाव अच्छे हैं.

    • अनीता मण्डा

      जहां तक मुझे पता है दोहे में 13-11,13-11मात्राएँ होनी चाहिए । मुझे अपना अज्ञान दूर करने का अवसर मिलेगा अतः पाठकगण कृपया अपनी राय दें-

      • अनीता मण्डा

        मुस्कान के मोती डाल,हंस रहेंगे करीब।
        खुदा ने सबको दी ये ,नहीं कोई गरीब।।

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