दोहा
मुस्कान के मोती डालो, रहेंगे हंस करीब।
प्रभु ने सबको दी है यह, कोई नहीं गरीब।।
मुस्कान के मोती डाल,रहेंगे हंस करीब।
कुदरत ने दी नेमते,कोई नहीं गरीब।।
मुस्कान के मोती डालो, रहेंगे हंस करीब।
प्रभु ने सबको दी है यह, कोई नहीं गरीब।।
मुस्कान के मोती डाल,रहेंगे हंस करीब।
कुदरत ने दी नेमते,कोई नहीं गरीब।।
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दोहा सही नहीं बना था, मैंने थोडा सुधार दिया है, हालाँकि अभी भी कुछ कमी है. वैसे इसके भाव अच्छे हैं.
जहां तक मुझे पता है दोहे में 13-11,13-11मात्राएँ होनी चाहिए । मुझे अपना अज्ञान दूर करने का अवसर मिलेगा अतः पाठकगण कृपया अपनी राय दें-
मुस्कान के मोती डाल,हंस रहेंगे करीब।
खुदा ने सबको दी ये ,नहीं कोई गरीब।।