कविता

कविता : न पति देव, न पत्नी देवी

पत्नी एक इंसान है , उसे देवी मत बनाइये

पति भी हाड़-मांस का है, उसे देव न बनाइये |

इंसान है तो उसे इंसान ही रहने दीजिये

न उसे राक्षस, न दानव , न देव बनाइये |

देवी बनाकर पूजा नारी को, फिर किया छल

परदे के पीछे उसको, शोषण का शिकार न बनाइये |

पुत्र होना या पुत्री होना , इसका जिम्मेदार है पुरुष

दकियानूस बनकर,निर्दोष औरत को दोषी न बनाइये |

गर दोष नारी में है , दोष पुरुष में भी है

दोषारोपण में जीवन को नरक न बनाइये |

कोई नहीं पूर्ण इस जग में, नारी हो या पुरुष हो

पूर्णता के चक्कर में , जीवन को दुखी न बनाइये |

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !

2 thoughts on “कविता : न पति देव, न पत्नी देवी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता , हमारे देश में औरत पर ही प्रैशर है . बेटा न पैदा करे तो भी औरत पर दोष , हालांकि बेटा या बेटी का होना पुर्ष की ही दें है .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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