गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

चूड़ियां तेरी सदा खन-खन करे प्रियतमा पासा तू’ अब गर मन करे | रात दिन भगवान का चिंतन करे हाथ जोड़े ईश का वंदन करे | रब इबादत शांति से कर लो सभी प्रार्थना मन को सदा पावन करे | बाग़ में दावत जरूरत तो नहीं गुल खिले हों तो भ्रमर गुंजन करे | घोषणा […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

गणतंत्र का उत्सव आया, ह्रदय में आशनाई हो , जात-पात, ऊंच-नीच का विष, ख़त्म तमाम बुराई हो | निष्पक्ष साफ़ राजनीति हो, चुनो न स्वार्थी नेता को जनता हित की बात करे, पर खून चूषण कसाई हो | आज़ाद देश में आज़ादी, सब इसके अधिकारी हैं, अमीर हो या गरीब हो, अब मुनसिब सब सुनवाई […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

जीस्त बीती तुम्हे मनाने में क्या मज़ा मेरे दिल दुखाने में | इम्तिहां मैं दिया हरेक दफा तू नहीं चुकती आजमाने में | स्वर्ग का इंतज़ार अब नहीं’ है जीना’ मरना इसी जमाने में | चाहता जो नहीं किसी से खुछ मस्त रहता है’ गुनगुनाने में | मैं नहीं जानता कहूँ क्या अब जो ख़ुशी […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

दो दिल अगर करीब, मुहब्बत की बात है महबूब गर हरीफ, तो’ किस्मत की बात है | नेता विरोध फ़क्त बगावत की बात है बेदाग़ जिंदगी खुदा रहमत की बात है | निर्धन बशर सदा किया है देव अर्चना बदनाम बेवज़ह है’ शरारत की बात है | वो प्यार से कभी नहीं कुछ कहा मुझे […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

द्वेष की आतिश बुझाना चाहिए देशवासी खिलखिलाना चाहिए | गर्व क्यों हो इन्तियाज़ी धर्म पर सिर्फ मानव धर्म निभाना चाहिए | बेइमानो की जरूरत तो नहीं देश भक्तों का खजाना चाहिए | झगडा’ तो बर्बाद करता देश को शांति उद्भव का ज़माना चाहिए | आदमी से आदमी अंतर घटा शेष अंतर को मिटाना चाहिए | […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

नींद में भी देखता, कोई बुलाता है मुझे जोर से आवाज देकर, ज्यूँ जगाता है मुझे | गुनगुनाता आप अपने, मेरे मन पाखी कभी जानता हूँ, वो मधुर गाना सुनाता है मुझे | सुख, खुशी, रस से भरी इक जिंदगी ही चाहिए हर दफा जानम खुशी-झूले झुलाता है मुझे | सर्वदा जानम किया उद्यम सदा, […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

उम्र का यह ढलान है प्यारे यह बुढ़ाई थकान है प्यारे | नग्न भूखे किसान है प्यारे झोपड़ी ही मकान है प्यारे | बात करते अवास्तविक हर दम आसमानी उड़ान है प्यारे | म्यान तलवार साज सज्जा सब यह लड़ाका निशान है प्यारे | सब दबंगों का’ बोल बाला है भेद करना विधान है प्यारे […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

प्यास दिल का अभी तो बुझा ही नहीं इश्क क्या है पता भी चला ही नहीं | गर शिकायत मैं रब से करूं, तो कहूं जिंदगी तो मिली, सुख मिला ही नहीं | ढूंढता था दवा इश्क का मैं यहां इस दवा खाने’ में तो दवा ही नहीं | जीत उसने लिया साम या दाम […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

वही बेसुरा गीत गाने लगे सभी भाव उसके पुराने लगे | जनाधार जब टूटता ही गया निराली कहानी सुनाने लगे | दिलों में भरा है जहर रहनुमा जहर सिक्त भाषण पिलाने लगे | अमन गीत अब चाहिए देश को सभी देशवासी जताने लगे | पराजित विपक्षी परेशां सभी विजय दुन्दुभी ये बजाने लगे | अभी […]

गीतिका/ग़ज़ल पद्य साहित्य

ग़ज़ल

मौसमी हवा बनी तूफान इन दिनों सब शत्रु के मकान है’ वीरान इन दिनों | हैवान को मिला सभी’ सम्मान इन दिनों अक्षम बशर का हो रहा’ गुणगान इन दिनों | कोई कभी नहीं किया’ अच्छा अवाम का बेकार में ही’ मानते एहसान इन दिनों | देखो जहाँ वहीँ लूटी इज्जत गरीब की दुष्कर्म का […]