मुक्तक : रह-रह कर
रह-रह कर मन में क्यों कसक उठ जाती है
मेरे दिल पर दर्द की क्यों दस्तक दे जाती है
जितनी भी कोशिश करता हूँ उसे भूलने की
उतनी ही अधिक उदासी मन में छा जाती है
— रमेश कुमार सिंह
रह-रह कर मन में क्यों कसक उठ जाती है
मेरे दिल पर दर्द की क्यों दस्तक दे जाती है
जितनी भी कोशिश करता हूँ उसे भूलने की
उतनी ही अधिक उदासी मन में छा जाती है
— रमेश कुमार सिंह
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मुक्तक बहुत अच्छा लगा .
धन्यवाद श्रीमान जी
अच्छा मुक्तक !
धन्यवाद श्रीमान जी!!!