कविता

कुछ दोहे — सभी माँओं को समर्पित

आँखों में मेरी बसा, माँ का सुंदर रूप
हमको देती थी खुशी, वो मेरे अनुरूप॥

राम कृष्ण ना जानती, मैं बस जानूँ मात
जिसने हमको है दिया, सुघर सलौना गात ॥

धरती से भारी बनी, गलती करती माफ
उसके मुखड़े पर दिखे, प्यारा ईश्वर साफ ॥

मेरे जीवन को दिया, जिसने नव आकार
उसके आँचल में हुए, सब सपने साकार ॥

आँगन बचपन का बसा, अब भी मेरी साँस
छोर पकड़ के चली थी, यादें हैं वो खास॥

कल्पना मिश्रा बाजपेई

कल्पना मनोरमा

जन्म तिथि 4/6/1972 जन्म स्थान – औरैया, इटावा माता का नाम- स्व- श्रीमती मनोरमा मिश्रा पिता का नाम- श्री प्रकाश नारायण मिश्रा शिक्षा - एम.ए (हिन्दी) बी.एड कर्म क्षेत्र - अध्यापिका प्रकाशित कृतियाँ – सारंस समय का साझा संकलन,जीवंत हस्ताक्षर साझा संकलन, कानपुर हिंदुस्तान,निर्झर टाइम्स अखबार में,इंडियन हेल्प लाइन पत्रिका में लेख,अभिलेख, सुबोध सृजन अंतरजाल पत्रिका में। हमारी रचनाएँ पढ़ सकते हो । लेखन - स्वतंत्र लेखन संप्रति - इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य । सम्मान - मुक्तक मंच द्वारा (सम्मान गौरव दो बार )भाषा सहोदरी द्वारा (सहोदरी साहित्य ज्ञान सम्मान) साहित्य सृजन - अनेक कवितायें तुकांत एवं अतुकांत,गजल गीत ,नवगीत ,लेख और आलेख,कहानी ,लघु कथा इत्यादि ।

One thought on “कुछ दोहे — सभी माँओं को समर्पित

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर दोहे !

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