मत बाँधो दरिया का पानी बहने दो अब लहर-लहर को ॥ किसे दिखाऊँ किसे बताऊँ अंतर गहरे घाव बहुत हैं रीत रहा घट यूँ साँसों का जानूं कैसे दाँव बहुत हैं मत साधो स्वर रुँधे कंठ मॆं छूने दो बस अधर-अधर को ॥ भोर बुनी तो दिन हर्षाया बुनी रात तो सपना पाया चारों पहर […]
Author: कल्पना मनोरमा
गीत : मन से मन मिलना अब सबसे मुश्किल है
मन से मन मिलना अब सबसे मुश्किल है ॥ अपनों से चोरी रखते गैरों से मिलते भेद-भाव की खेती कर, हैं उगते-खिलते दिल से दिल मिलना अब सबसे मुश्किल है ॥ मूक बधिर की सेना है लड़ने को तत्पर दिवस हुआ बेचैन मौन साधे है दिनकर सुख से सुख लिखना अब सबसे मुश्किल है ॥ गुणवत्ता […]
कविता
गाँव के सन्नाटे में जब खिलती है चाँदनी रात कौन पूछे ?किससे कुशलात खिलखिलाते आँगन हो गये हैं मूर्छित पगडंडियां झाँक आतीं हैं उस मोड़ तक जहाँ से हँसी के कहकहे इठलाते हुए समा जाते थे गाँव में घरों ने झुका लिये हैं सिर घुटनों के बीच में सोचते हैं उदास हलधर आखिर क्यों खरीदी […]
ग़ज़ल
भूख का भूगोल अब पढ़ना कठिन है डूबना आसान पर तरना कठिन है मूर्ति की पूजा करो या जाप भी दुखी के संग चार पग चलना कठिन है चीखती है भुखमरी मुख फाड़ कर यूँ खेद उसका चाह कर हरना कठिन है धूप भी करती नहीं है गरम तन को ठूँठ में एहसास अब भरना […]
ग़ज़ल
कच्चे घरों में रिश्ते पक्के होते थे हों जैसे भी परिवार अच्छे होते थे॥ सीखते थे उम्र भर गुण बुजुर्गों से लिए दिल में दुलार बच्चे होते थे ॥ मिल-बाँट कर खाते थे आधी रोटी थाली भर नेह अचार खट्टे होते थे ॥ चमक होती थी मटमैले चेहरों पर खिले मन और प्यार सच्चे होते […]
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा एक पर्व ही नहीं जीवन का यथार्थ है इसे हृदय से मनाएँ भले ही फिर मंदिर में दीपक न जलाएँ सोचो अगर गुरु परंपरा न होती तो ज्ञानियों की नई पौध कौन उगाता ……. कौन हमको गढ़-गढ़ कर सुंदर बनाता। किसी ने सही कहा है कि हर मनुष्य की प्रथम पाठशाला हमारा घर […]
सफल उड़ान
रख दिया हाथ सिर पर किसी ने तो साया बन गया मुसकाया देख कर मुझको तो हँसना आ गया रखा पाँव पर पाँव किसी के तो चलना आ गया पकड़ कर उंगली दिखाई चौखट दुनिया रंगना आ गया दिलाया हौसला इतना कि उड़ना आ गया जुटाये मेहनत के दाने तो खजाना बन गया टुकड़ा टुकड़ा […]
देखो,बरस रहा है पानी…
बादलों से आता पेड़ों को गुदगुदाता प्रेम गीत गाता देखो,सुबह से बरस रहा है पानी । फुहारी साड़ी ले आता पलकों से सहलाता सोई हसरतें जागता उदास मौसम को भगाता देखो, बिन थके लरज़ रहा है पानी। झरोखों में मुस्काता याद पी की दिलाता नेह चिठिया सुनाता हृदय लहक-लहक जाता देखो,नवेली दुल्हन सा ठुमक रहा […]
गीतिका : चाँद आया था…..
चाँद आया था मेरे साथ-साथ बाग में विस्मित हो जा छुपा रंगों की फाग में ॥ उछलता रहा रात भर वो वल्लरियों में थका हारा जा गिरा झरनों के झाग में ॥ उड़तीं रहीं तितलियाँ पराग की प्यास में झूमती रहीं वो दर-बदर प्रेम के राग में ॥ नाचती रही चाँदनी बिन थके हुए बाग […]
कुछ दोहे — सभी माँओं को समर्पित
आँखों में मेरी बसा, माँ का सुंदर रूप हमको देती थी खुशी, वो मेरे अनुरूप॥ राम कृष्ण ना जानती, मैं बस जानूँ मात जिसने हमको है दिया, सुघर सलौना गात ॥ धरती से भारी बनी, गलती करती माफ उसके मुखड़े पर दिखे, प्यारा ईश्वर साफ ॥ मेरे जीवन को दिया, जिसने नव आकार उसके आँचल […]