कविता

सफल उड़ान

रख दिया हाथ सिर पर किसी ने
तो साया बन गया
मुसकाया देख कर मुझको
तो हँसना आ गया

रखा पाँव पर पाँव किसी के
तो चलना आ गया
पकड़ कर उंगली दिखाई चौखट
दुनिया रंगना आ गया

दिलाया हौसला इतना कि
उड़ना आ गया
जुटाये मेहनत के दाने
तो खजाना बन गया

टुकड़ा टुकड़ा बंटता रहा पिता
अब बूढ़ा हो चला है
पसीने से, लथपथ रहने वाले हाथों की
नमी सूख चली है
आँखों में रंग हीन सा मोतिया बिन्दु
चाहता है
तुम्हारी आँखों की चमकीली रोशनी
कहाँ हो तुम …..?

अपेक्षाएँ होती थी पूरी कभी जिसके द्वारा
आज उपेक्षित चादर में लिपट चुका है
आँखों के किनारे पर उमड़ आया करते थे
जो आँसू तुम्हारी यादों में
वो आँसू नमक बनकर स्थाई हो चले है

माना, कि दिखाया था आकाश पिता ने
तुमको उड़ने के खातिर
लेकिन तुमने तो उस जमीन को ही भुला दिया
जिस पर टिका था
तुम्हारी सफल उड़ान का वजूद ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

कल्पना मनोरमा

जन्म तिथि 4/6/1972 जन्म स्थान – औरैया, इटावा माता का नाम- स्व- श्रीमती मनोरमा मिश्रा पिता का नाम- श्री प्रकाश नारायण मिश्रा शिक्षा - एम.ए (हिन्दी) बी.एड कर्म क्षेत्र - अध्यापिका प्रकाशित कृतियाँ – सारंस समय का साझा संकलन,जीवंत हस्ताक्षर साझा संकलन, कानपुर हिंदुस्तान,निर्झर टाइम्स अखबार में,इंडियन हेल्प लाइन पत्रिका में लेख,अभिलेख, सुबोध सृजन अंतरजाल पत्रिका में। हमारी रचनाएँ पढ़ सकते हो । लेखन - स्वतंत्र लेखन संप्रति - इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य । सम्मान - मुक्तक मंच द्वारा (सम्मान गौरव दो बार )भाषा सहोदरी द्वारा (सहोदरी साहित्य ज्ञान सम्मान) साहित्य सृजन - अनेक कवितायें तुकांत एवं अतुकांत,गजल गीत ,नवगीत ,लेख और आलेख,कहानी ,लघु कथा इत्यादि ।

One thought on “सफल उड़ान

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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