क्षणिका

क्षणिकायें

१-बात

तुमसे मेरी बात हुई थी

जब मैं और तुम चुप हो गए थे

२-दरकिनार

कही तुझसे दरकिनार न हो जाऊँ

सिर्फ मैं तेरा इंतज़ार न हो जाऊँ

३-मित्र

हर महफ़िल में मैं तेरा ही जिक्र करता हूँ

बस तुझ एक को ही अपना मित्र कहता हूँ

४-तस्वीर

तेरी तस्वीर को देखते हुये गया समय बीत

बरसों हो गए मैं तुमसे नहीं पाया मिल

५-सुरूर

जामे मय सी है तेरी निगाहें

तेरी आँखों से सुरूर छलक आये

६-भ्रमण

तुमसे पल भर को भी

जुदा होना चाहता नहीं मन

तेरे आसपास ही भंवरे सा

करता रहता भ्रमण

७-जुबाँ

लब खामोश हैं तो क्या हुआ

रोम रोम तेरे

मेरे लिए जुबान बने हुये हैं

kishor kumar khorendra

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “क्षणिकायें

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिकाएँ !

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