किताबें कुछ कहना चाहती हैं ….
किताबें कुछ कहना चाहती हैं |
किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं |
किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं |
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं |
परियों के किस्से सुनाते हैं |
सबके सब मन बहलाते है |
किताबों में राकेट का राज हैं |
किताबों में साइंस की आवाज हैं |
किताबों का कितना बड़ा संसार हैं |
संसार की सारे बातें किताबों में बंद हैं |
किताबों में ज्ञान का भंडार हैं |
क्या तुम इस संसार में ,
जाना नहीं चाहोगे ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं |
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं |
तुमको पढ़ाकर बड़ा बनाना चाहती हैं |
किताबें कुछ कहना चाहती हैं |
बहुत अच्छी बात ! तिलक महाराज ने कहा था कि ‘मैं नर्क में भी अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि पुस्तकें नर्क को भी स्वर्ग बना देती हैं.’
धन्यबाद
किताबों से ही सबकुछ है यही सच्चाई है निवेदिता जी बहुत सुंदर!!!