कवितापद्य साहित्य

किताबें कुछ कहना चाहती हैं ….

किताबें कुछ कहना चाहती हैं |

किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं |

किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं |

किताबों में झरने गुनगुनाते हैं |

परियों के किस्से सुनाते हैं |

सबके सब मन बहलाते है |

किताबों में राकेट का राज हैं |

किताबों में साइंस की आवाज हैं |

किताबों का कितना बड़ा संसार हैं |

संसार की सारे बातें किताबों में बंद हैं |

किताबों में ज्ञान का भंडार हैं |

क्या तुम इस संसार में ,

जाना नहीं चाहोगे ?

किताबें कुछ कहना चाहती हैं |

तुम्हारे पास रहना चाहती हैं |

तुमको पढ़ाकर बड़ा बनाना चाहती हैं |

किताबें कुछ कहना चाहती हैं |

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

3 thoughts on “किताबें कुछ कहना चाहती हैं ….

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बात ! तिलक महाराज ने कहा था कि ‘मैं नर्क में भी अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि पुस्तकें नर्क को भी स्वर्ग बना देती हैं.’

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      धन्यबाद

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