हाइकु/सेदोका दो हाइकु *गुरमेल सिंह भमरा लंदन 15/05/2015 १ बोये बबूल , कांटे ही कांटे मिले , समझी भूल . २ काम महान , दान करे जो आँखें , उसे सलाम .
बहुत खूबसूरत हाइकू भाई साहब !
बढ़िया हाइकु !
राज किशोर जी , बहुत बहुत धन्यवाद . आप ने बहुत अच्छा हाइकु लिखा है , मुझ को जवाब मिल गिया .
बोएँ बबूल
चाहत क्या रखते
मिलेंगे फूल
अतीव सुंदर हायकू