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समस्त देश वासियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

  हमारी भाषा हिंदी ”हिंदी का मान, अपना है सम्मान, हिंदी महान.” आज हिंदी दिवस है आप सबको हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं. वैसे तो देश की सब भाषाओं को फलना-फूलना चाहिए मगर देश की एक भाषा तो सब को आनी ही चाहिए, ताकि हम देश के किसी भी हिस्से में जाएँ, हम उन से खुल […]

आत्मकथा

मेरी जीवन कहानी से

सुबह चार बजे उठ गए, नहा धो कर कपड़े पहने, कुलवंत ने चाय बनाई और पी कर कमरे से बाहर आ गए। अभी अँधेरा ही था और कुछ कुछ ठंड थी लेकिन मौसम सुहावना था। सभी दुकाने अभी बन्द थी। यहां से कोच चलनी थी, हम ने पिछले दिन ही देख लिया था, इस लिए […]

संस्मरण

बेबस्सी

                  सोमवार 21 स्तंबर का दिन, धूप और अपने हरिआली भरे गार्डन में बैठ कर मज़ा करना, इंग्लैंड में कभी कभी ही ऐसा दिन नसीब होता है। मौसम विभाग की जानकारी के मुताबक 21 और 22 स्तंबर को दिन बहुत अच्छा बताया गया था और आज 25 […]

लघुकथा

यहाँ चाह , वहां राह

पंजाबी के एक महान कवी महोदय मेरे फेस बुक फ्रैंड हैं जो निउयौर्क में रहते हैं। वोह अपनी कविताएं लिख कर हर रोज़ फेस बुक पर पोस्ट करते हैं और मैं भी उन की कविता पढ़ के अपने विचार लिख देता हूँ। एक दिन उन की एक कविता पढ़ के मुझे बहुत मज़ा आया और […]

कहानी

धरम करम

शेर सिंह पक्का नास्तिक था। उसकी पत्नी सुरजीत कौर का अपने धर्म में विश्वास तो था, लेकिन शेर उसको गुरदुआरे के सिवा कोई और साधू संत या डेरे पे जाने नहीं देता था। सिख धर्म की मर्यादा के अनुसार उसने अपने घर में कभी भी कोई अखंड पाठ या अन्य रसम कराने की इजाजत नहीं […]

लघुकथा

नई सोच

                     रामू की नौकरी तो बहुत अच्छी थी लेकिन जो उस को शराब और सिगरट की आदत थी उस ने घर का सारा महौल विगाड़ कर रख दिया था। उस की बीवी और दो बच्चे उसे एक अजनवी की तरह देख कर एक तरफ हो जाते […]

कविता

नव वर्ष मुबारक हो !!!!

1.कामयाबी की दुआ जैसे, जिस हाल में उसने रखा है, खुश रहने की कोशिश करता हूं, धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ते रहने की कोशिश करता हूं, जो जिस स्वभाव का है, उसे वैसा ही स्वीकारने की कोशिश करता हूं, नए साल में सबको मिलें खुशियां अपार, सबके लिए कामयाबी की दुआ करता हूं.

कविता

और मुझे जीना है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

कहाँ था तब, कहाँ हूँ अब न सवाल सीधा न जवाब सीधा शुरू करूँ कहाँ से विराम लगाऊं कहाँ समय ने ही तो मुझे सींचा. गाँव में जन्मा-पला, खेला-खाया खेतों में काम किया फिर शहर में पढ़ा, इंकलाब आया जोर-शोर से, विलायत ने मुझे कुछ और गढ़ा. धन भी मिला, मज़े भी किये, शादी भी […]

संस्मरण

मेरी कहानी 167

मैं और गियानी जी उठ कर गियानी जी के कमरे में आ गए। यह कमरा घर का फ्रंट रूम ही था। वैसे तो यह कमरा महमाननिवाज़ी के लिए था लेकिन गियानी जी के लिए यह कमरा सब कुछ था, यहाँ अपने दोस्तों से वे गियान गोष्ठी भी किया करते थे और स्ट्डी रूम के तौर […]

लघुकथा

किसी की मदद करने से आप को ख़ुशी मिलती है

लंडन में हमारी बेटी पिंकी को एक दिन काम से छुटी थी और उसी दिन उस के बेटे यानी हमारे दोहते को भी छुटी थी। दुपहिर के वक्त दोनों माँ बेटा एक दूसरे को किया खाया जाए, किया खाया जाए, पूछने लगे। तो बेटा सन्नी बोला, ” माम, आज हैम सैंडविच खाने को जी चाहता […]