लघुकथा

यहाँ चाह , वहां राह

पंजाबी के एक महान कवी महोदय मेरे फेस बुक फ्रैंड हैं जो निउयौर्क में रहते हैं। वोह अपनी कविताएं लिख कर हर रोज़ फेस बुक पर पोस्ट करते हैं और मैं भी उन की कविता पढ़ के अपने विचार लिख देता हूँ। एक दिन उन की एक कविता पढ़ के मुझे बहुत मज़ा आया और मैंने अपने कौमैंट में उन को लिखा, कि इस कविता में लिखा सच ही लगता है। दूसरे दिन मुझे उन का ईमेल आ गया जिस में लिखा था , ” गुरमेल सिंह , बीस साल पहले इंडिया में मैं औडिट ऑफीसर लगा हुआ था। एक दिन मुझे एक शहर के दफ्तर में औडिट करने के लिए जाने का अवसर मिला।  यह दफ्तर जो बहुत बड़ा था, शहर के बाहिर बना हुआ था और इस के आगे खेत ही खेत थे। मैंने देखा, इस दफ्तर का मैनेजर हर घंटे बाद बाहर चला जाता और दस पंदरा मिंट बाद वापस आता और अपने टेबल पर बैठ कर फिर से फाइलों में बिज़ी हो जाता, दूसरे दिन मैंने उन को पूछ ही लिया , सर ! आप इतनी दफा बाहर जाते हैं, कोई ख़ास वजह है ! ” तो उन का छोटा सा जवाब था , ” छू छू करने के लिए जाता हूँ ”
मैंने कहा कि इस के लिए तो टॉयलेट दफ्तर में ही है !
वोह मुस्करा कर बोले , ” कुछ साल पहले मैं काफी मोटा हुआ करता था। डाक्टर ने मशवरा दिया था कि मैं हर रोज़ कुछ कसरत करूँ क्योंकि मेरा ब्लड प्रैशर काफी हाई था और कुछ दवाईआं लिख कर दे दीं। काम से वापस घर जाता था तो वक्त नहीं मिलता था। एक दिन मुझे यह आइडिआ आया और हर घंटे बाद बाहर तेज तेज चले जाता हूँ और तेज ही चले आता हूँ । इस से सारे दिन में तकरीबन डेढ़ घंटा वाक् हो जाती है। इतना करने से ही एक साल में धीरे धीरे मेरी कुछ दवाईआं डाक्टर ने छुड़वा दीं,  इस से मुझे बहुत हौसला मिला और काम से वापस आ कर भी कुछ वक्त निकालना शुरू कर दिया। हफ्ते में दो दफा जिम जाना शुरू कर दिया। बस, कुछ ही महीनों में डाक्टर ने मेरी सारी दवाईआं छुड़वा दीं और अब बिलकुल फिट हूँ।
गुरमेल सिंह, उस मैनेजर की बात मैं कभी नहीं भूला और मैंने भी हर रोज़ रैगुलर तेज चलना शुरू कर दिया। जब मैं निऊयौरक में आ कर सैटल हुआ तो यह आदत यहाँ भी नहीं छूटी। अब मैं सत्तर साल का हूँ और पूरी तरह फिट हूँ।

2 thoughts on “यहाँ चाह , वहां राह

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर लघुकथा, भाईसाहब !

    • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

      बहुत बहुत धन्यवाद विजय भाई. यह एक सच्ची बात है और मुझे बहुत पसंद आई थी क्योंकि इस में एक सन्देश है. एक बात कृपा जरूर लिखें कि आप के ईमेल के मुताबक मैं कोशिश बहुत करता हूँ कि सही जगह सही चिन लगाऊं. अगर आप मेरी गलतिओं को लिख दें तो मुझे आगे से सुधारने में आसानी होगी. धन्यवाद.

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