यादें….
आज आपकी यादों में आँखें भर आई ………….
क्या कहुँ क्या सुनु कुछ समझ न आयीं |
बीतें हुए पलों को याद करके उदासी छायीं |
जहाँ भी मैं रहती वहाँ अकेलापन महशुस करती |
आज आपकी यादों ………………….
याद आती है वो पलें जब साथ रहा करती थी |
साथ ही साथ हँसा, बोला ,खेला,करती थी |
कभी भी आपसे बिछड़ने की आशा नहीं रखी थी |
आज आपकी यादों ……………..
परेशानियां भी आती तो आपको ही बताती |
तभी मेरा मन हल्का हो जाती |
आप भी मेरे हर सुख -दुःख में साथ निभाती |
आज आपकी यादों ……………
आज किसे सुनाउ मैं अपनी बातें |
जो बातें आपको सुनाया करती थी |
आपभी प्यारी -प्यारी बातों से भरमाया करती थी |
आज आपकी यादों ……………
वो दिन भी आज याद आ गए |
जब मैं ऑफिस से घर आया करती |
आपने ही तो मेरे लिए नास्ता तैयार रखती |
आज आपकी यादों ……………..
काश ! वो दिन फिर से आ जाएँ |
हम और आप साथ-साथ हो जाएँ |
फिर से एक जूट हो कर सबको हंसाएं |
आज आपकी यादों ……….
निवेदिता चतुर्वेदी
बढ़िया !
यादें अक्सर आने के लिए ही होती हैं निवेदिता जी मेरे पास भी बहुत सी यादें हैं जो बीच बीच में आकर मुझे जगाया करती हैं ….