सूरज चाँद में हुई लड़ाई
सूरज चाँद में हुई लड़ाई
खूब हुई थी हाथापाई
घमंडी चाँद बोला अकड़कर
तुमसे प्रकाश न लूंगा दिनकर
सूरज चाँद से छिना सवेरा
चारों ओर छा गया अंधेरा
चाँद बहुत ही था निराश
छँटती नहीं अमावस -रात
जा तारों से हाथ मिलाया
फिर भी नहीं उजाला आया
एक उपाय बस था बाकी
जाकर सूरज से माँगी माफी
रवि मेरा मिटा अंधकार
तुम जीते मैंने मानी हार
— दीपिका कुमारी दीप्ति
अच्छी बाल कविता !