नेता जी की आरती
ॐ जय जय नेता देवा
जो जन करते तुम्हारी सेवा ,,,
क्लेश विकार उन्हें न होवे ,,
सुख सम्पति चढ़ते सब मेवा ,,
ॐ जय -जय नेता देवा ,…..
भक्ति -भाव से करे जाप जो , ,
उनके कष्ट को हरते आप हो ,,
जो जन उनको त्रास देत हैं ,
उनको आप श्राप देत हैं ,,,
ॐ जय जय नेता देवा ….
मन क्रम बचन करे जो सेवा ,
चिरंजीव खावे नित मेवा ,,,,
आपकी महिमा जो नित गावै ,
दस ग्रह ताहि निकट नहिं आवै ,,,,,,
ॐ जय जय नेता देवा….
आप सोचते ग्रह दस क्या है ,,
नेता से डरते ग्रह सब हैं ,,,,
शुक्र शनि भी बने अर्दली ,
गुरु से मच गयी नयी खलबली ,,
ॐ जय जय नेता देवा
सोम और , रवि गति न पावै
जब तक नेता महात्म्य न गावै
मंगल , बुध शुद्ध तब होई
जब नेता की अस्तुति होई ,,
ॐ जय जय नेता देवा ….
राहू ,केतु का औकात ,,
जऊ नेता से पावहि पार
ॐ जय जय नेता देवा….
जन जन करता आपकी सेवा
कलियुग मे तब पावै मेवा ,
तुम बिनु काम नहीं होवे,
कोई राह नही पाता ,
ॐ जय जय नेता देवा….
उर आनंद समाता ,
जब नेता मिल जाता ,
कटे क्लेश भव बन्धन ,’
जीवन अति आनन्दम
ॐ जय जय नेता देवा
बुरा कभी ना दिल मे रखते
अच्छे से अच्छे हैं डरते
नेता अस्तुति जो जन गावै ,
राज कहे सुख -संपति पावै ,
ॐ जय जय नेता देवा
— राजकिशोर मिश्र [राज]
व्यंग्य अच्छा है !
आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल जी आपकी पसंद एवम् प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए आभार
हा हा ,बहुत खूब राज किशोर जी .
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जी आपकी पसंद एवम् प्रतिक्रिया के शुक्रिया एवम् धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए आभार