गीतिका : प्रेमी पथिक
गुल-गुल से गुलशन सजाना चाहिए,
हर गली गुलजार हो ऐसा तराना चाहिए/
देखकर मनमोह ले प्रेमी पथिक का यह सफ़र,
हर डगर खुशहाल हो ऐसा जमाना चाहिए/
नील गगन खुशियाँ बिखेरे रात-दिन,
हर गली खुशहाल हो ऐसा निभाना चाहिए/
जिंदगी की ख्वाविशें पूर्ण हों एहसास मे,
भावना आधीन हो ऐसा दिवाना चाहिए/
शक्ति ,शौर्य, वीरता ,आत्मबल अरू धीरता,
कीर्ति गाएँ रात-दिन ऐसा सजाना चाहिए//
— राजकिशोर मिश्र [राज]
अच्छा गीत !
आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल जी आपकी पसंद एवम् प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद
वाह वाह .
आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा जीआपके हार्दिक त्वरित प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया एवं धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से कोटिश आभार ,