पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूं मैं ….
पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूँ मैं,
फिर सूनी मांग तेरी तारों से भर दूँगा.
वासंती आँचल का आकर्षण गहरा है,
लेकिन इन नयनों के अश्कों को चुन लूं मैं.
हर सूने हाथों में मेहंदी रच जाने दो,
फिर तेरे आँचल को फूलों से भर दूंगा.
आँखों का आकर्षण ठुकराना ही होगा,
माथे के स्वेदबिंदु बन जाएँ सब मोती.
पहले इन आहों से ताजमहल गढ़ दूं मैं,
फिर तेरे यौवन का अभिनन्दन कर लूँगा.
नापो गर नाप सको दुख की गहराई को,
कितने विश्वासों का सेतुबंध टूट गया.
पहले प्रलयंकर का मौन मुखर होने दो,
फिर अनंग तुम को भी अभयदान दे दूंगा.
कितनी द्रोपदियों का चीर हरण होता है,
जाने क्यों मौन कृष्ण आकर के लौट गये.
पहले हर दुखियों को संदेशा पहुंचा दो,
फिर मेरे मेघदूत को अलकापुरि भेजूंगा.
…..कैलाश शर्मा
वाह वाह , गीत अच्छा लगा .
बहुत शानदार गीत !