गीत/नवगीत

पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूं मैं ….   

पहले हर अधरों को  मुस्कानें दे दूँ मैं,

फिर सूनी मांग तेरी तारों से भर दूँगा.

 

वासंती आँचल का  आकर्षण गहरा है,

लेकिन इन नयनों के अश्कों को चुन लूं मैं.

हर सूने हाथों में  मेहंदी रच जाने दो,

फिर तेरे आँचल को  फूलों से भर दूंगा.

 

आँखों का आकर्षण ठुकराना ही होगा,

माथे  के स्वेदबिंदु बन जाएँ सब मोती.

पहले इन आहों से ताजमहल गढ़ दूं मैं,

फिर तेरे यौवन का अभिनन्दन कर लूँगा.

 

नापो गर नाप सको दुख की गहराई को,

कितने  विश्वासों का  सेतुबंध टूट गया.

पहले प्रलयंकर का मौन मुखर होने दो,

फिर अनंग तुम को भी अभयदान दे दूंगा.

 

कितनी द्रोपदियों का चीर हरण होता है,

जाने क्यों मौन कृष्ण आकर के लौट गये.

पहले हर दुखियों को संदेशा पहुंचा दो,

फिर मेरे  मेघदूत को अलकापुरि भेजूंगा.

 

…..कैलाश शर्मा

कैलाश शर्मा

केंद्रीय सचिवालय सेवा एवं सार्वजनिक बैंक में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करने के पश्चात सम्प्रति सेवा निवृत. ‘श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित. ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/ पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित. वर्ष के श्रेष्ठ बाल कथा लेखन के लिए ‘तस्लीम परिकल्पना सम्मान – २०११’.

2 thoughts on “पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूं मैं ….   

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह , गीत अच्छा लगा .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार गीत !

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