शिशुगीत

ओ मेरी राजदुलारी

तारों को साथ ले के तू आजा चाँद चकोरी
मेरी बिटिया रानी रो रही सुना जा तू लोरी
तुझे काजल टिका लगाऊँ मेरी लागे न नजर
ओ मेरी राजदुलारी तुझे लगे मेरी उमर

तेरे लिए रात काटती हूँ आँखों में
तू बसी है मेरी लाडली हर साँसों में
तेरी हर खुशी हर जिद्द मेरी जान से बढ़कर
ओ मेरी राजदुलारी तुझे लगे मेरी उमर

बड़ी होके तू करना मेरी नाम को ऊँचा
दुर्गा-काली बनके करना देश की रक्षा
नारी जाति के मान को करना तू ऊपर
ओ मेरी राजदुलारी तुझे लगे मेरी उमर

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।

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