संबोधन
क्या संबोधन दू?
आप……
फिर एक बड़प्पन सा
पसरा रहेगा उम्र भर हमारे मध्य
हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
.
.
.
.
तुम!!
नया सा है हमारा सम्बन्ध
फिर एक खुलापन
सा रहेगा इसमें
बिंदास सा हो जायेगा रिश्ता
हमारा .
.
.
.
. तू
इसमें नकारात्मकता है
नही ऐसे तो में कभी नही
हो पाऊंगी तुम्हारी
न ही तुम मेरे
तो अब क्या हो ?
में नाम से पुकारूंगी
आप भी मेरा कोई नाम रख लो
अपना अपना वजूद लिए हम
उम्र भर रहेगे एक दुसरे के
इस आप. तुम .तू की ओपचारिकता में क्यों पड़ना ?
……...नीलिमा
(कस्तूरी में प्रकाशित एक रचना)
अच्छी कविता !
आप……
फिर एक बड़प्पन सा
पसरा रहेगा उम्र भर हमारे मध्य
हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
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अतीव सुंदर उपरोक्त पंक्तियाँ