कविता

संबोधन

क्या संबोधन दू?

आप……
फिर एक बड़प्पन  सा
पसरा रहेगा उम्र भर  हमारे मध्य
हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
.
.
.
.
तुम!!
नया सा है हमारा सम्बन्ध
फिर एक खुलापन
सा रहेगा इसमें
बिंदास सा हो जायेगा रिश्ता
हमारा .
.
.
.
. तू
इसमें नकारात्मकता है
नही ऐसे तो में कभी नही
हो पाऊंगी तुम्हारी
न ही तुम मेरे

तो अब क्या हो ?
में नाम से पुकारूंगी
आप भी मेरा कोई नाम रख लो
अपना अपना वजूद लिए हम
  
उम्र भर रहेगे  एक दुसरे के
इस आप. तुम .तू की ओपचारिकता  में क्यों पड़ना ?

……...नीलिमा 

(कस्तूरी में प्रकाशित  एक रचना)

नीलिमा शर्मा (निविया)

नाम _नीलिमा शर्मा ( निविया ) जन्म - २ ६ सितम्बर शिक्षा _परास्नातक अर्थशास्त्र बी एड - देहरादून /दिल्ली निवास ,सी -2 जनकपुरी - , नयी दिल्ली 110058 प्रकाशित साँझा काव्य संग्रह - एक साँस मेरी , कस्तूरी , पग्दंदियाँ , शब्दों की चहल कदमी गुलमोहर , शुभमस्तु , धरती अपनी अपनी , आसमा अपना अपना , सपने अपने अपने , तुहिन , माँ की पुकार, कई वेब / प्रिंट पत्र पत्रिकाओ में कविताये / कहानिया प्रकाशित, 'मुट्ठी भर अक्षर' का सह संपादन

2 thoughts on “संबोधन

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    आप……
    फिर एक बड़प्पन सा
    पसरा रहेगा उम्र भर हमारे मध्य
    हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
    ====================

    अतीव सुंदर उपरोक्त पंक्तियाँ

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