कविता

मेरे पापा

माँ की कोख में भी तुमको

पापा मैं सुन पाता था

मेरे लिए वो फ़िक्र तुम्हारी

सुनके मैं इठलाता था

गर्भ में माँ के साथ साथ मैं

ह्रदय तुम्हारे पलता था

मुझको ही तो सोच तुम्हारा

एक – एक पल गुजरता था

खेल खिलौने , बस्ता और कॉपी

पिज़्ज़ा बर्गर , चिप्स और टॉफी

तुमसे ही सारे ऐश हैं पापा

मौज मस्ती जीवन की सारी

तुमसे ही तो कैश है पापा

बहा खून पसीना भरी दुपहरी

मेरे लिए ही कमाते हो

मम्मी बचाती बुरी नज़र से

तुम नज़रों में लाते हो

माँ लाती दुनिया में बेशक

दुनियादारी तुम सिखलाते

मम्मी तो प्यारी है ही पापा

तुम भी मुझको बहुत लुभाते

डांट और सख्ती से तुम्हारी

होते कदम मजबूत हमारे

तुम्हारे काँधे पर ही तो चढ़

तोड़ लाते हम नभ के तारे

माँ को पूजे दुनिया सारी

पर पापा भी तो महान हैं

उनके समर्पण और त्याग से

हम रहते क्यूँ अनजान हैं ?

रक्षा करते ,पालन करते

पापा तुम भगवान हो

जिस दिल में बसती है माँ

पापा उसके तुम प्राण हो

— सपना मांगलिक

 

सपना मांगलिक

नाम – सपना मांगलिक जन्मतिथि -17/02/1981 जन्मस्थान –भरतपुर वर्तमान निवास- आगरा(यू.पी) शिक्षा- एम्.ए, बी.एड (डिप्लोमा एक्सपोर्ट मेनेजमेंट ) सम्प्रति– उपसम्पादिका- आगमन साहित्य पत्रिका, इन दिनों documentry निर्माण में सक्रिय, स्वतंत्र लेखन, मंचीय कविता, ब्लॉगर, फेसबुक पर काव्य-सपना नाम से प्रसिद्द ग्रुप जिसके देश विदेश के लगभग पांच हज़ार सदस्य है . संस्थापक– जीवन सारांश समाज सेवा समिति, शब्द-सारांश (साहित्य एवं पत्रकारिता को समर्पित संस्था) सदस्य- ऑथर गिल्ड ऑफ़ इंडिया, अखिल भारतीय गंगा समिति जलगांव,महानगर लेखिका समिति आगरा, साहित्य साधिका समिति आगरा,सामानांतर साहित्य समिति आगरा, आगमन साहित्य परिषद् हापुड़, इंटेलिजेंस मिडिया एसोशिसन दिल्ली, गूगनराम सोसाइटी भिवानी, ज्ञानोदय साहित्य परिषद् बेंगलोर प्रकाशित कृति- (तेरह) पापा कब आओगे, नौकी बहू (कहानी संग्रह), सफलता रास्तों से मंजिल तक, ढाई आखर प्रेम का (प्रेरक गद्य संग्रह), कमसिन बाला, कल क्या होगा, बगावत (काव्य संग्रह), जज्बा-ए-दिल भाग–प्रथम, द्वितीय, तृतीय (ग़ज़ल संग्रह), टिमटिम तारे, गुनगुनाते अक्षर, होटल जंगल ट्रीट (बाल साहित्य) संपादन – तुम को ना भूल पायेंगे (संस्मरण संग्रह), स्वर्ण जयंती स्मारिका (समानांतर साहित्य संस्थान) प्रकाशनाधीन– इस पल को जी लें (प्रेरक संग्रह), एक ख्वाब तो तबियत से देखो यारो (प्रेरक संग्रह) विशेष– आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर निरंतर रचनाओं का प्रकाशन सम्मान- विभिन्न राजकीय एवं प्रादेशिक मंचों से सम्मानित पता- एफ-659, बिजलीघर के निकट, कमला नगर, आगरा 282005 (उ.प्र.) दूरभाष – 09548509508,7599163711, [email protected]

2 thoughts on “मेरे पापा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सपना जी , माँ को लिखी कवितायेँ तो बहुत पड़ीं लेकिन पहली दफा आप ने एक पिता को सन्मान दिया है , आप के जज्बे को सलाम .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता !

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