चाँदनी रात
दिवस के समापन के बाद
अंधकार का धीरे-धीरे छा जाना।
और उनके बीच टिमटिमाते तारों का,
नजर आना।
मानो जुगनू की तरह विचरण करना।
अप्रतिम सुन्दरता को साथ लिये
इसी बीच में खुशबुओं को बिखेरती हुई।
लोगों को शीतलता प्रदान करती हुई।
मन्द मन्द प्रकाश ज्योति के सहारे।
गगन में तारों के फौज के बीच में,
मौज के साथ आनन्दित हूँ
अंधेरी रातों में ठंडी बयारों के बीच
चाँद ने अपनी चाँदनी को ,
पृथ्वीवासियों को प्रदान कर रही है।
मन प्रफुल्लित सपनों में हो रहे हैं
—–@रमेश कुमार सिंह
अच्छी कविता, लेकिन वर्तनी की ग़लतियाँ खटकती हैं। मैंने कुछ संशोधन कर दिये हैं।