डायरिया से बचाव और उपचार
गर्मी के दिनों में पतले दस्त जिसे डायरिया कहा जाता है की शिकायत बहुत हो जाती है। इसके निम्न कारण हो सकते हैं-
1. बाजार के कटे-गले फल खाना या घर पर रखी खराब हो चुकी बासी चीजें खाना।
2. गर्म वस्तु के तुरंत बाद या उसके साथ ठंडी चीजें खाना।
3. अन्य कोई हानिकारक वस्तु जाने-अनजाने में खा जाना।
4. लू लग जाना।
उपरोक्त कारणों से बचे रहकर हम डायरिया से भी बचे रह सकते हैं। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
1. जहां तक सम्भव हो तेज धूप और गर्म हवा में न निकलें।
2. अगर निकलना पड़े तो पर्याप्त ठंडा पानी पीकर और सिर को ढक कर ही निकलें।
3. बहुत ज्यादा ठंडा पानी न पियें। यथासंभव घड़े या सुराही का पानी ही पियें।
4. यदि पानी की शुद्धता के बारे में संदेह हो तो उसे उबालकर और ठंडा करके ही पियें।
5. बाजार की वस्तुएं न खायें। घर की ताजी वस्तुएं ही खायें। फलों को पर्याप्त ठंडा हो जाने पर ही खायें।
6. कोल्ड ड्रिंक न पियेें। घर पर बना नीबू-पानी का शर्बत या लस्सी पियें।
यदि फिर भी किसी कारण से डायरिया हो जाये, तो उसका तत्काल उपचार करना आवश्यक है। इसके लिए सभी खाने पीने की वस्तुएं बंद करके केवल जीवन रक्षक घोल पिलायें और प्यास के अनुसार ठंडा पानी पिलायें। एक चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक को 100 ग्राम पानी में घोलकर यह घोल बनायें।
प्रत्येक बार दस्त होने के 15 मिनट बाद ही यह घोल पीने को दें। यदि प्यास अधिक लगी हो तो ऊपर से सादा पानी पिलायें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। यदि दस्त बहुत अधिक और बार-बार हो रहे हों, तो पेडू पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। इससे बहुत आराम मिलेगा।
दस्त पूरी तरह बंद होने से पहले कोई ठोस चीज न खिलायें। ठीक होने के बाद दलिया, सब्जी जैसी हल्की चीजें देना प्रारम्भ करें। भूख वापस आने पर ही रोटी दें।
विजय कुमार सिंघल
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी लेख में दी गई है। आभार एवं धन्यवाद।
विजय भाई , डाएरिया से बचाव और उपचार बहुत उपयोगी लगे . वोह ही बात आ जाती है कि prevention is better than cure. वैसे भी अब पानी इतना अच्छा नहीं है, उबाल कर रख लेना और फिर उसे पीना ही सही बात है . जो भारती बाहिर रहते हैं उन को भारत में आ कर यह बात ख़ास कर परेशान करती है , इसी लिए वोह imodium के कैप्सिऊल साथ ले कर आते हैं . हम लोग दही भी ज़िआदा इस्तेमाल करते हैं किओंकि इस में बैनिफिशिअल बैक्तीरीआ होता है . फिर भी ठीक ना हो तो डाक्टर लोग तो हैं ही .
आभार भाई साहब ! एक जमाना था कि हम हर जगह का पानी पी लेते थे और कभी हमें कुछ नहीं होता था. अब तो रेलवे स्टेशनों का पानी पीने में भी डर लगता है. इसलिए घर से लेकर चलते हैं.
bahut hi badhiya njaankari di hai
हार्दिक आभार, बंधु !