कविता

भारत के लीडर (व्यंग्य कविता)

चोरी-घोटालों में होते हैं बड़े निडर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

आजाद देश के नेता हैं उनकी नहीं कोई कायदा
करते बहुत से वादे पर होता नहीं कोई फायदा
नेताजी के लिए भी काश होती कोई गीता
फँस जाती है उनकी चाल में भोली जनता
हरे-भरे देश को बना देते हैं खंडर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

एक ऑफिस चलाने के लिए जरुरी कंपटीशन की
देश चलानेवालों के लिए जरुरी नहीं एजुकेशन भी
ऑफिस नहीं चला सकते जो होते साठ के पार
देश चलाने के लिए वही योग्य उम्मीद्वार
फैंसला करें क्या होगा महान देश का फ्युचर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

मंत्री बनते ही पहले सम्हालते हैं अपनी फैमली
जनता की क्या फिक्र है अब अपनी है असेम्बली
चुनाव आते ही चल देते हैं जनता को फुसलाने
शिक्षा और विकास का फिर से स्वप्न दिखाने
झूठी कसम वादे लिखकर दिखाते हैं ट्वीटर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

जवान देश पर मिटने को तैयार हैं दिन रात
नेताजी घुसपैठियों से मिलाये हैं हाथ
उनकी काम ही बनती है जो जानते घूस की हाल
सतरंज से पेचिदा है नेताजी की चाल
किसकी उपमा दें हम सब उनसे हैं बेटर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

सामने आती है जब उनकी असली तस्वीर
जनता की हाथ ही होती है उनकी तकदीर
देश का फ्यूचर कैसे देते चोरों के सरदार को
पब्लिक मिलके बदल देती है अपनी सरकार को
पर वे नये नेताजी भी निकलते हैं चीटर
ऐसे महान होते हैं भारत के लीडर

दीपिका कुमारी ‘दीप्ति’

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।

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