मुक्तक/दोहा

मुक्तक

प्रियतम तेरी याद है आई बहुत दिनों के बाद
मुझको सारी रात जगाई बहुत दिनों के बाद
सर्द हवा आई मेरे दिल को छूकर चली गई
लगा तेरा स्पर्श कराई बहुत दिनों के बाद

डॉ. अरुण कुमार निषाद

निवासी सुलतानपुर। शोध छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। ७७ ,बीरबल साहनी शोध छात्रावास , लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। मो.9454067032

One thought on “मुक्तक

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

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