कविता : मुश्किल दौर
जब भी लगे कि,
नहीं गुजर रहा ,
मुश्किल दौर,
जीवन का ऐ दोस्त,
तो हौसला ना हारना,
तू कभी l
क्योंकि है दौर कौन सा,
जो नहीं गुजरा,
आज तक,
गुजर गया,
जो दौर कल था,
और गुजर जायेगा,
वो भी,
जो दौर आज है l
याद करना,
तू अतीत को,
जब खिन्न,
हो गए थे तुम,
जीवन की चुनौतियां,
पहाड. लगती थी तुम्हें l
आत्मंथित कर खुद को,
तुमने जुटाया था,
आत्मविश्वास,
फिर तुम पार,
पा गये थे उनसे l
तुम चलते थे रोज,
गिरकर संभलते भी थे,
लहूलुहान होते पांव भी,
नहीं डिगा पाये थे,
तुम्हारे इरादों को l
हर पल, हर लम्हा,
लक्ष्य पर ही नजर,
गड़ाये रखते थे तुम l
खुली आखों से देखे हुए,
वो सपने,
जो जगा देते थे,
अक्सर तुम्हे नींद से,
उन सपनों को भी हकीकत,
बनाया था तुमने l
वो तुम ही हो दोस्त,
जो गुजरे थे उस दौर से,
और वो भी तुम ही हो,
जो गुजर जाओगे,
इस दौर से भी ।
– मनोज चौहान
बढ़िया कविता !
धन्यवाद सर ………..!
मनोज जी , बहुत सुन्दर रचना है , दरअसल जिंदगी में हम बहुत दफा मुशिकल दौर में घबरा जाते हैं लेकिन वोह समय बीत जाता है और हम भूल जाते हैं कि कभी हम इस मुश्किल दौर में भी थे . हर कठिन समय को हंस हंस गुज़ार देना ही जिंदगी है .
बहुत -2 धन्यवाद भमरा सर ….आपकी हौसला अफजाई के लिए l