मुक्तक
मेरा पहला मुक्तक भाजपा के महानायक आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सम्मान में सादर समर्पित
[1]
हे राजनीति के युग पुरुष , तेरा लख-लख अभिनंदन
तेरी अमोघ गौरव गाथा का , कण-कण करता वंदन
नही धरा पर कोई सानी , राजनीति अरु कविता का
राज नमन करे आपको , हे मलयागिरि शीतल चंदन
[2]
शमां पर दिल जलाते परवाना नहीं देखा ,
सारिता की लहरों का आशियाना नहीं देखा
प्यार के खातिर लुटा दिया अपने वजूद को
यार ऐसा हमदर्द दीवाना नहीं देखा
[3]
यार मेरे मन का तू गीत बन गया
दिल खोजता फिरे तू संगीत बन गया
मानस मन से द्वन्द करूँ प्रीतम कैसे?
जब तू दिल की अंतरा का मीत बन गया
राजकिशोर मिश्रा राज
बहुत खूब .
आदरणीय आपकी पसंद एवम् त्वरित हार्दिक प्रतिक्रिया के लिए ह्दयतल से नमन और आभार
अच्छे मुक्तक !
आदरणीय आपकी पसंद एवम् हार्दिक प्रतिक्रिया के लिए ह्दयतल से नमन और आभार