नाम
सुन बिटिया का
पहला क्रन्दन
क्यों करता
हे माता-पिता
आपका स्नेह सागर
हृदय स्पन्दन
मेरे जन्मोपरान्त
आपके मन में
उमड़ आया था अनायास ही
लाड़
आँखों में खुशी के
अश्रुधार
कुछ मिश्रित
परायाभास
सोचता होगा कि
पुत्र होता
काश
जो होता बुढ़ापे का
सहारा
और देता
चिता को
आग
शायद इसीलिये
घर में नहीं हुआ
उसके जन्म पर
सोहर
और
मंगलगान
तब
उसकी किलकारी
कहना चाहती थी
शायद
कि
मत हो उदास
मैं भी बनूगीं बुढ़ापे की
लाठी आपका
बस
जरा करो मुझपर
विश्वास
देदो मुझे भी कुछ
अधिकार
मेरे हांथो में
कलम और
किताब
मैं भी करूंगी रौशन
आपका
नाम
© copyright @ Kiran singh
बहुत खूब !
आभार
बहुत अच्छी कविता है .
आभार