कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया


गरमी से बेहाल हैं, पशु-पंक्षी-इंसान।
तड़प रहे दिन-रात अब, सूझे नहीं निदान।
सूझे नहीं निदान, हाल लाइट के ऐसे।
झलक दिखाने सिर्फ, रोज आती हो जैसे।
कह ‘पूतू’ कविराय, मनो लादे बेशरमी।
खींच रही जो खाल, मार निज कोडे गरमी॥

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य स्वर्ण पदक सहित),यू.जी.सी.नेट (पाँच बार) जन्मतिथि-03/07/1991 विशिष्ट पहचान -शत प्रतिशत विकलांग संप्रति-असिस्टेँट प्रोफेसर (हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश) रुचियाँ-लेखन एवं पठन भाषा ज्ञान-हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी,उर्दू। रचनाएँ-अंतर्मन (संयुक्त काव्य संग्रह),समकालीन दोहा कोश में दोहे शामिल,किरनां दा कबीला (पंजाबी संयुक्त काव्य संग्रह),कविता अनवरत-1(संयुक्त काव्य संग्रह),यशधारा(संयुक्त काव्य संग्रह)में रचनाएँ शामिल। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। संपर्क- ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645 मो.-08604112963 ई.मेल[email protected]

One thought on “ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कुंडली !

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