कविता : ज़िन्दगी
ज़िन्दगी गर सहज ही चलती जाती तो क्या बात थी
जैसा हम चाहते वैसा ही होता रहता तो क्या बात थी
पर ज़िन्दगी तो सुख दुख का मिश्रण है यह कहां एक सी थी
कभी राहें खुशियों की कहीं गम की लम्बी दास्तां थी
इक पहेली सी लगती कभी लगती हसीं सी
कहीं खौफ के साए मे जीती कहीं बेखौफ तूफानो से लड़ती यह ज़िन्दगी |||
— कामनी गुप्ता जम्मू
बहुत खूब !