चूल्हा
चूल्हा जब -जब जलता है,जाने क्या -क्या पकता है।माँ के जैसा कोई नहीं है,लगता कब से सोई नहीं है।हर पल
Read Moreनहीं थकते नहीं रुकते,संघर्ष ही जीवन है कहते।हर उम्र में इक अलग रूप,न छांव न देखें कभी धूप।चलते समय संग
Read Moreक्यों करते हो इंतज़ार दहलीज़ पर साथीछोड़ दो पुरानी बातें अब ये काम नहीं आतीजानते हो आजकल चिट्ठियां नहीं आती।
Read Moreकहीं अपनी ही परछाई में,हाँ ! ढूँढ लेना मुझे तन्हाई में वक्त मिले जब सपनों से,मिलना चाहो अपनों से,भले दूर
Read Moreसब पाकर भी न घमंड होना।सबसे कठिन है सरल होना ।हम जिस कुर्सी पे बैठे आज,कल होगी जाने किसकी जान।
Read Moreरिटायरमेंट के बाद थोड़ा असहज सा खुद को पाता हूँ।सब रिश्ते तो वही हैं,पर जाने क्यों मैं हिचकिचाता हूँ। कोशिश
Read Moreकुछ सवाल हैंन जिनके जवाब हैंक्यूं रात दिन ऐसेकरता तू मलाल है। यही ज़िन्दगी का सार हैकौन यहां समझदार है।
Read Moreसब्र करते करते कितने ही बरस बीत गए।आज़ाद हैं हम ! गाए कितने ही गीत गए। लहू देख अपनों का…
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