गीत/नवगीत

अब न कोई बनता फूल

हो गए सब देखो कितने कूल।
हांजी अब न कोई बनता फूल।

समार्टफौन में डूबें सब डयूड;
बदला समय बदले सब रूल।

बचपन की बातें हो गई पुरानी;
कौन सुनता अब बोरिंग कहानी।

बच्चों की छोड़ोअब बड़े भी बदले;
फैशन है बस हंसी मज़ाक को भूले।

गुगल ने सबको ज्ञानी है बनाया;
हर शहर का हाल घर बैठे बताया।

यारो गलती से न कहना अप्रैल फूल;
क्योंकि अब न कोई बनता फूल।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |