गीतिका
शाम ढले तुम घर आना प्रिय, आकर दिल में न जाना प्रिय! तुमसे इश्क़ कर बैठे हैं बेहद, रूठ भी
Read Moreमीना ने मांग में सिंदूर भरा और अपनी बेटी को जल्दी से तैयार करने में जुट गई! मम्मी की मांग
Read Moreपुरानी यादों पर कोहरा जम गया… बीत गए क्यों पल में वो पुराने किस्से, हुआ करते थे कभी ज़िन्दगी के
Read Moreदीवारें भी सुनती हैं शायद जो भी बात घटती है घर में, कभी जब छोटी सी बात कलह बन जाती
Read Moreआओ देखो तुम ये राजनीति का खेला, क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला। इक दूजे पे तीर चले हैं
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