कविता

है अब भी याद

वो पूनम की रात है अब भी याद।
था दरमियाँ वो अनोखा एहसास।
न तुमने कहा, न कुछ हमने कहा।
फिर भी निगाहों से हुई थी बात।

वो झिलमिल सितारों की बारात,
जादू चांद का और वो जज़्बात,
पल में बदल गई कैसे ज़िन्दगी ये,
बस इक तुम्हारे यूँ आने के बाद।
वो पूनम की रात………..

आती कहाँ रोज़ ये पूनम की रात,
चमकता न नीला आकाश यूँ हर रात,
मिलता कहाँ प्यार जीवन में हर बार,
कभी होती है मुलाकात किसी से खास।
इसलिए वो पूनम की रात……..

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |