बुजुर्गों की सेवा से मेवा जरूर मिलेगा
बुजुर्गों की सेवा से मेवा जरूर मिलेगा
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तेज भागती हुई जिन्दगी में समय नहीं है किसी के पास..! आज सभी भाग रहे हैं रेस के घोड़े की तरह
जिनका मकसद सिर्फ रेस जीतना है चाहे उसके लिए कितनी ही कुर्बानियां देनी पड़े..! पाने की धुन में क्या खोया किसी को खबर नहीं…. हो भी कैसे… कौन समझाए…! टुकड़े टुकड़ों में बिखर गए है परिवार… चलन हो गया है एकल परिवारों का… उसमे भी पति पत्नी दोनों कमाऊ… कहां से समय निकाल पाएंगे वे बुजुर्गों के लिए, उसी का दुष्परिणाम भुगत रहे हैं हमारे बुजुर्ग..!चूंकि हमारे बुजुर्गों ने अपने बच्चों के खुशियों के लिए अपना सर्वस्व ( तन , मन , और धन ) न्यौछावर कर दिया…! बच्चों की परवरिश में कभी नहीं सोचा कि कभी उन्हें अपने ही घर में अकेलेपन और उपेक्षा का सामना करना पड़ेगा…! परन्तु वे दोषी ठहरायएं भी तो किसे उन्होंने स्वयं ही तो स्वयं को लुटा दिया था..अपनो में ! अपने भाग्य को कोसते हुए काट रहे हैं वे एक एक पल..! गुजारिश करते हैं ईश्वर से कि वे ही अपने घर बुला लें पर ईश्वर भी तो मनमौजी ही है.. कहाँ सुनता है वो भी उनकी… भज रहे हैं घर के किसी कोने में राम नाम…!
सोंचती हूँ उनके अकेलेपन से कहीं बेहतर होता ओल्डएज होम..! उन्हेंदे खकर डरती हूँ अपने भविष्य से..! सोंचती हूँ बुक करा ही लूँ अपने लिए ओल्डएज होम . अभी तो हाथ पैर चल रहा है..! बच्चे तो सपूत हैं पर बस जाएंगे बिदेश में या देश के किसी कोने में फिर कहाँ फुर्सत मिलेगी उन्हें .! आखिर हमने भी तो यही चाहा था..! बोया बबूल तो आम कहाँ से मिलेगा….?
या फिर सोंचती हूँ किसी बेघर को ठौर देकर रख लूँ अपने घर में.. कम से कम सेवा तो करेंगे..! फिर डरती हूँ कि कहीं उन्हें लोभ न घेर ले और …………… डरती भी कैसे नहीं , आए दिन बुजुर्गों की हत्याएं पढ़कर सिहर जाता है मन..!
अरे मैं भी कहाँ अपने भविष्य में उलझ गई, क्यों न सकारात्मक विचारधारा अपनाएं बहुत मुश्किल भी नहीं है बुजुर्गों की समस्याओं का समाधान यदि हम थोड़ी सूझ बूझ से काम लें तो ..!
घर लेते समय यह ध्यानमें जरूर रखना चाहिए कि हमारे पड़ोसी भी समान उम्र के हों ताकि हमारे बुजुर्गों को उनके माता पिता से भी मिलना जुलना होता रहे और हमारे बुजुर्ग भी आपस में मैत्रीपूर्ण संबंध रखते हुए दुख सुख का आदान प्रदान कर सके..! मंदिरों में भजन कीर्तन होता रहता है उन्हें अवश्य मंदिर में भेजने का प्रबंध करें ..! प्रार्थना और भजन कीर्तन से मन में नई उर्जा का प्रवेश होता है जिससे हमारे बुजुर्ग प्रसन्न रहेंगे, और साथ में हमें भी प्रसन्नता मिलेगी ..! मानते हैं कि समयाभाव है फिर भी कुछ समय में से समय चुराकर बुजुर्गों के साथ बिताएं जिससे आपको तो आत्मसंतोष मिलेगा ही.. बुजुर्गों को भी कितनी प्रसन्नता मिलेगी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है ..! समय समय पर उन्हें उपहार स्वरूप अच्छी अच्छी किताबें भेट करें आपके उपहार को वे अवश्य पढ़ेंगे जिसे पढ़कर उनके अन्दर सकारात्मक विचार पनपेंगे ..! यकीन मानिए बुजुर्गों की सेवा से मेवा जरूर मिलता है जरा करके तो देखिए..! याद रखिए हमारे बच्चे हमें देख रहे हैं., हम जो करेंगे वही संस्कार उन्हें मिलेगा..!
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©Copyright Kiran singh
बहुत अच्छा लेख.
आभार