पहली बारिश की दस्तक
किसानों का मन हुआ गदगद,
पहली बारिश ने दे दी दस्तक।
धरती की बूझ गयी प्यास,
खुशियाँ मना रहा आकाश।
मेढक की खत्म हुई सजा,
बारिश का ले रहा है मजा।
बारिश में नहा रही है चिड़िया,
मछली की तो बढ़ गयी दुनिया।
खुशी से नाच रहा है मोर,
देखो झिंगुर मचाये शोर।
पेड़-पौधों में मची है धूम,
बादल को बुला रहे झूम-झूम।
ये सब है प्रकृति का कृपा,
सबका मन खुशी से झूम उठा।
– दीपिका कुमारी दीप्ति
माफ कीजियेगा सर
गलती से शीर्षक में बारिश की जगह वारिस लिखा गया था।
सुधारने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
अच्छी कविता !
लेकिन आपको बारिश और वारिस का अंतर जानना चाहिए। मैंने शीर्षक सुधार दिया है।
प्रशंसनीय रचना।
वाह !