कुण्डली/छंद

कुछ कुंडलियाँ

दिन ने खोले नयन जब , बड़ा विकट था हाल ,

पवन, पुष्प, तरु, ताल, भू , सबके सब बेहाल |

सबके सब बेहाल, कुपित कुछ लगते ज्यादा ,

ले आँखों अंगार, खड़े थे सूरज दादा |

घोल रहा विष कौन, गरज कर जब वह बोले ,

लज्जित मन हैं मौन, नयन जब दिन ने खोले ||१

 

दिनकर देता ताप जब , लेता नहीं विराम ,

हरने को संताप, तब , आओ न घनश्याम |

आओ न घनश्याम , फूल , कलियाँ हर्षाएँ ,

सरसें मन अविराम , मगन हो झूमे गाएँ |

धरा धार ले धीर , गीत खुशियों के सुनकर ,

कुछ तो कम हो पीर, लगे मुस्काने दिनकर ||२

 

नन्हीं बूँदें नाचतीं , ले हाथों में हाथ ,

पुलकित है कितनी धरा , मेघ सजन के साथ

मेघ सजन के साथ , सरस हैं सभी दिशाएँ

पवन-पिया के संग , मगन मन मंगल गाएँ

अब अँगना के फूल , ठुमक कर नाचें कूदें

भिगो गईं मन आज , धरा संग नन्हीं बूँदें ||३

 

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

परिचय : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा जन्म स्थान : बिजनौर (उ0प्र0) शिक्षा : संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि ( लब्ध स्वर्ण-पदक )एवं पी-एच 0 डी0 शोध विषय : श्री मूलशंकरमाणिक्यलालयाज्ञनिक की संस्कृत नाट्यकृतियों का नाट्यशास्त्रीय अध्ययन । प्रकाशन : 'ओस नहाई भोर'(एकल हाइकु-संग्रह), 'महकी कस्तूरी'(एकल दोहा-संग्रह), 'तुमसे उजियारा है' (एकल माहिया-संग्रह) । अन्य प्रकाशन - ‘यादों के पाखी’(हाइकु-संग्रह ), ‘अलसाई चाँदनी’ (सेदोका –संग्रह ) एवं ‘उजास साथ रखना ‘(चोका-संग्रह), हिन्दीहाइकुप्रकृति-काव्यकोश,, डॉसुधागुप्ताकेहाइकु मेंप्रकृति( अनुशीलनग्रन्थ),हाइकु –काव्यशिल्पएवंअनुभूति,समकालीनदोहाकोशमेंरचनाएँप्रकाशित।विविध राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्जाल पर भी )पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग पर यथा – हिंदी चेतना,गर्भनाल, अनुभूति, अविराम साहित्यिकी, रचनाकार, समृद्ध सुखी परिवार,सादर इंडिया, उदंती, लेखनी, शोध दिशा, राजभाषा आश्रम सौरभ , यादें, अभिनव इमरोज़, सहज साहित्य, त्रिवेणी, हिंदी हाइकु, लघुकथा . कॉम, साहित्य कुञ्ज, विधान केसरी, प्रभात केसरी, नूतन भाषा-सेतु,नेवा: हाइकु, सरस्वतीसुमन आदि में हाइकु,सेदोका,ताँका,चोका,गीत,माहिया,दोहा, कुंडलियाँ, घनाक्षरी, ग़ज़ल, बाल कविताएँ, समीक्षा, लेख, क्षणिका आदि विविध विधाओं में अनवरत प्रकाशन । ब्लॉग : jyotirmaykalash.blogspot.in सम्प्रति : स्वतन्त्रलेखन सम्पर्क :एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला- वलसाड, गुजरात (भारत ) पिन- 396191 e-mail [email protected] [email protected]

2 thoughts on “कुछ कुंडलियाँ

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कुंडलियाँ !

    • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

      बहुत बहुत धन्यवाद !

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