प्राकृतिक आपदा
यह एक प्राकृति के द्वारा दी गयी हमारे लिए समस्याएं हैं,
जिसे हमलोगो को कष्टो एवं क्षति के साथ झेलना पड़ता है ।
यह बिना पूर्व सुचना के हमारे सामने ताडव मचाता है,
इस ताडव में घर-मकान जिव-जन्तु चपेट में आ जाता है।
इससे बचने के लिये सावधानीपूर्वक रहना कारगर उपाय है,
इसलिए सब लोगों तक को यह संदेश पहुचाया जाता है।
‘अगर रहेगी हमारी पूर्व से तैयारी नहीं पड़ेगा आपदा भारी’,
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बचाव ही उपाय है ।
अगर जा जाये भूकंप तो इस शब्द को जरूर याद रखना है।
रूकिए->झुकिए->पकड़िए, इस वाक्य पर ध्यान रखना है।
किन्तु आग मे फस जाते हैं तो इस शब्द को जरूर याद रखान है।
रूकिए ->झुकिए ->लुढकिए, इस विक्य पर ध्यान रखना है।
अगर बाढ़ का प्रकोप है सबको बन्धन से मुक्त कर देना है,
ताकि उनको स्वयं रक्षार्थ में कोई बाधा उत्पन्न न हो जाये।
इन सब उपायों को अपनाकर आपदा को रोक तो नहीं पायेगे,
लेकिन मानव क्षति होने को जरूर कुछ कम कर पायेगे ।
अगर किसी की दुर्घटना सड़क बीच मे दिख जाती है,
आनन-फानन में उसे फौरन अस्पताल पहुचाया जाए।
यही प्रक्रिया मानव, मानव को मानवता दिखलाता है,
कुछ अपने जीवन में ऐसा करें कि मानवता दिख जाए।
@रमेश कुमार सिंह /०५-०६-२०१५ (जनहित में जारी)
वाह !
आभार!श्रीमान जी।