सुनो
सोना चाहती हूँ
बस एक
पुरसुकून नींद…
कितना थकी हुई हूँ
नहीं लगा सकते
तुम अंदाजा…
हूँ कितनी सदियों से
प्यासी…
और
तुम
कितने जन्मों से
रेगिस्तान…!!
— रितु शर्मा
सोना चाहती हूँ
बस एक
पुरसुकून नींद…
कितना थकी हुई हूँ
नहीं लगा सकते
तुम अंदाजा…
हूँ कितनी सदियों से
प्यासी…
और
तुम
कितने जन्मों से
रेगिस्तान…!!
— रितु शर्मा
Comments are closed.
बहुत खूब !