कथा दर्पण- ‘साइलेण्ट लव’
साइलेण्ट लव
मुहब्बत नगर में एक अंसू अनजान रहता था. बड़ा दिल था उसका. जिससे भी मिलता बड़ी शिद्दत से मिलता. एक रोज़ वह बेवफ़ाई नगर में अपने किसी रिश्तेदार की शादी में जा पंहुचा.
रिश्तेदारों में एक सनम बेवफ़ा उसे दिखलाई दी. किसी ज़माने में उसने उसको देखा था. तभी से वह केवल उसी से मुहब्बत करता था. लेकिन किसी रिश्तेदार से उसे पता चला कि उसका निकाह किसी चश्मे-बद्दूर से तय हो गया है, इतना सुनने के बाद अनजान का दिल काँच की तरह बिखर गया. लेकिन कहते है वो अपने समय का बड़ा शागिर्द था, चोट तो सह गया लेकिन उसने तय किया कि वो उसके सामने ही नही जाएगा. लेकिन किस्मत भी किसी के हाथ में होती है क्या?. अंसू अनजान बार-बार सनम के सामने किसी ना किसी वजह से आ ही जाता. जब-तब सनम ने उससे बात की तो वह उसे अनसुना करने लगा. लेकिन सनम के लिए उसे अहसास हुआ कि वो भी उसे पसंद करने लगी है, तो उसने अपना दिल-ए-हाल सनम को बता दिया. दोनों ने खूब बातें की. और अाखिर में सनम बोली कि मुझसे शादी करोगे तो मैं तुम्हे अपना पता बताऊं जब तब मैं खत लिखा करूंगी. फिर क्या था अंसू अनजान ने बात मान ली. एक रोज सनम ने ख़त लिक्खा कि तेरी सनम तो बेवफ़ा है बेवफाई उसका शहर है, मुझे भूल जा, ये शायरियां तेरी किसी और के नाम कर दे, मैं तेरे मुकद्दर में नहीं…. ख़त को पढ़ते ही अंसू अनजान का शरीर सफेद पड़ गया… उस रोज़ बेवफाई शहर में सनम बेवफ़ा का निकाह हो रहा था,
अंसू अनजान अपनी आखिरी शायरी भी उसी के नाम लिख के छोड़ गया..
और अपना पहले और आखिरी ख़त को उसके घर अपने सिपहसालार दिल कबूतर के पैरों में बाँध कर भेज दिया..
ख़त में लिक्खी शायरी कुछ यूं थी-
—
उसकी डोली के भी चार किनारे होंगे,
मेरी अर्थी के भी चार किनारे होंगे,
फूल उस पर भी बरसेंगे,
फूल मुझ पर भी बरसेंगे,
लोग उसके लिए भी रोयेंगे,
लोग मेरे लिए भी रोयेंगे,
फ़र्क बस इतना होगा…
उसका किसी को इंतजार होगा,
और मेरा अंतिम संस्कार होगा…!
अंसू अनजान…
Writer- S.N. prajapati
ठीक है।
Ji