जी लो मुझे
लो जी लो मुझे
ज़िंदगी की एक बूँद हूँ मैं
पी लो मुझे
मेरे कण कण में
डूब जायेगा तू
साँसों के झरनों में नहायेगा तू
उतर जा मेरी रूह में
बूँद में मिल बूँद हो जाएगा तू
तेरे कण कण में
डूबने से पहले
सुन तो लू
अपना नाम तेरे होंठो से
उतार तो लू वो सुखी उष्ण मिट्टी
जो मरुस्थलो ने मुझ को दी
तब तेरे नैनो में गोता लगाउगी
देखना कही
मृगतृष्णा की तरह
बूँद प्यासी ना रह जाए …!!
— रितु शर्मा
बहुत सुंदर !