कविता

बेटी तुम

 

नव प्रभात की सूर्य किरण से,

आलोकित घर का निखार हो।

आँगन की मृदु महक माधुरी,

बेटी तुम, सबका दुलार हो।

 

ब्रह्मा का उत्कृष्ट सृजन तुम।

निर्मल,कोमल,सुंदर तन तुम।

कर्म योगिनी,स्वत्व स्वामिनी,

स्वजनों की स्नेहिल पुकार हो,

बेटी तुम सबका दुलार हो!

 

खिली खिली खुशरंग हिना तुम।

चंचल, चतुर, चारु-वदना तुम।

मृगनयनी, मृदु बयन भाषिणी,

मातृ-पितृ मन का मल्हार हो।

बेटी तुम, सबका दुलार हो।

 

सप्त सुरों का साज वृंद तुम।

सुगम हास्य का मुक्त छंद तुम।

सुर सुबोधिनी, रसित रागिनी,

मधुर तान, बजता सितार हो।

बेटी तुम, सबका दुलार हो।

 

मधुबन की मोहक सुगंध हो,

नवरंगों का सुमन कुंज हो,

नव हरीतिमा, नवल पीतिमा,

ऋतु बसंत की, नव बहार हो,

बेटी तुम, सबका दुलार हो।

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]

4 thoughts on “बेटी तुम

  • प्रीति दक्ष

    behad sundar

    • कल्पना रामानी

      हार्दिक धन्यवाद प्रीति जी

  • विजय कुमार सिंघल

    अति सुन्दर कविता !

    • कल्पना रामानी

      हार्दिक धन्यवाद सिंघल जी

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