ज्योतिष सम्राट आर्यभट्ट
बिहार की इस पावन धरती पर
जन्म लिया एक ज्योतिष सम्राट,
दुनिया को सच दिखायी जिसने
आर्यभट्ट की है ये कला विराट।
पाटलीपुत्र में उस विद्वान ने
ज्योतिष शास्त्र का किया अध्ययन,
ग्रह-नक्षत्र की खोज कर उसने
अंधविश्वासों का किया खंडन।
उसी ने कहा पृथ्वी गोल है
ये सूर्य का चक्कर लगाती,
अपने धूरी पर घुमती जिससे
होता है दिन और रात्री।
सूर्य-ग्रहण और चंद्र-ग्रहण
लगने का कारण समझाया,
सूर्य किरण से चमकता चाँद
आर्यभट्ट ने ये राज बताया।
476 में जन्मे आर्यभट्ट ने
दुनिया को नयी राह दिखाई,
गणित, ज्योतिष, खगोल क्षेत्र में
उसने एक नयी क्रांति लाई।
तेईस वर्ष के उम्र में उसने
आर्यभटीय ग्रंथ किया तैयार,
उनके उस महान ग्रंथ में था
ज्योतिष गणित का अपूर्व भंडार।
शून्य का आविष्कार कर मापा
धरती सूरज की दूरी अनंत,
अंक-बीज और रेखागणित के
दिये उसने अनेक सिद्धांत।
हमने भी उस महान विद्वान को
उठाया है ऊपर आसमान,
पहले कृत्रिम उपग्रह को भारत
ने आर्यभट्ट का दिया है नाम।
– दीपिका कुमारी दीप्ति
बहुत बहुत धन्यवाद सर !
आर्य भट को सही शर्धान्जली है.
कविता के रूप में आर्यभट की जानकारी देना रोचक है।