क्या कविता आग लगा सकती है?
क्या कविता आग लगा सकती है?
हाँ ,
कविता
रोते को हँसा सकती है
हँसते को रुला सकती है
दस्यु को मानव बना सकती है
भूखे को दानव बना सकती है
बिन होली फाग खिला सकती है
पानी में आग लगा सकती है
किन्तु कब?
जब कलम उठाने वाले के दिल में
एक जुनून होगा कुछ करने का
जो
जियेगा देश के लिए
मरेगा देश के लिए
जिसका जीवन मानवता के लिए होगा
उसकी कलम तूफान से टकरा सकती है
निर्बल के विवेक को जगा सकती है
कायर को वीर बना सकती है
दिल में सोये अरमान जगा सकती है
हदसे गुजर जाये तो आग लगा सकती है
मेरे देश की पवित्र माटी
सजालो अपने भाल पर
चलपड़ो कदम मिला कर
ताल देकर ताल पर
है अगर सामर्थ्य तुममें राह चल देना अभी
लक्ष्य साधन के लिए बलिदान कर देना सभी
काम कुछ ऐसा करो जग में तुम्हारा नाम हो
अलग रहना भीड़ से खुद को न खो देना कभी
— लता यादव
बढ़िया। कविता में आग होती है
बहुत अच्छी कविता.